Saturday, July 02, 2011

लोकपाल बिल में प्रधानमंत्री !
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह चाहते हैं कि प्रधानमंत्री पद को लोकपाल के दायरे में लाया जाये लेकिन कांग्रेस पार्टी ऐसा नहीं चाहती. इसका एक ही कारण है. कांग्रेस की यह मंशा है, इरादा हैं, सपना है, भरोसा है कि एक दिन राहुल गाँधी प्रधानमंत्री बनेंगे, और अगर प्रधानमंत्री का पद लोकपाल के दायरे में आ गया तो राहुल गाँधी वे सभी काम नहीं कर पाएंगे जो उनके पिता राजीव गाँधी कर गए. तब राहुल गाँधी भ्रष्टाचार के वे कारनामे नहीं कर पाएंगे जिनके लिए नेहरु-गाँधी घराना जाना जाता है. तब तो लोकपाल उनकी गर्दन पकड़ लेगा. 
सनद - यह पोस्ट उसी दिल्ली में लिखी गयी जहाँ हर तरफ बेहिसी का आलम तारी रहता है, और बखत वही जब  हवा-बयार पानी की आस जगाये और पानी ना बरसे. बकलमखुद ! लिख दिया कि सनद रहे और बखत-ज़रुरत काम आवे !

Monday, March 29, 2010

उल्लू के पट्ठों की तादाद में इजाफा 
भारत में अब तक दो तरह के उल्लू के पट्ठे थे. पहले वह जो इस वक़्त क़तर में बैठा कूची नुमा दाढ़ी लिए अपने घोड़ों को सहला रहा होगा. दुसरे वह उल्लू के पट्ठे हैं जो  सफ़दर हाश्मी के नाम पर करोड़ों डकार चुके हैं और सहमत बनाकर भगवान राम और सीता को भाई बहन साबित करने पर तुले रहते हैं.
अब तीसरे उल्लू के पट्ठे आ गए हैं, और वह हैं सुप्रीम कोर्ट के जज साहबान ! 
अभी हाल में इन उल्लू के पट्ठों ने औरत - मर्द के एक साथ रहने पर फैसला दिया है और कहा है की बिना शादी किये भी साथ साथ रहा जा सकता है. इस फैसले में जज साहबान ने भगवान कृष्ण और राधा जी को भी live in relationship में बताकर न जाने क्या साबित करने की कोशिश की है. इस तरह तो इन उल्लू के पट्ठों ने पुरे हिन्दू धर्म को ही अश्लील करार दे दिया. 
इसका मतलब यह भी हुआ की इन उल्लू के पट्ठों को हिन्दू धर्म के बारे में कुछ पता ही नहीं. भगवान श्रीकृष्ण और  राधिका जी के बारे में इन लोगों को पहले जान लेना चाहिए. 
श्री श्री परमहंस योगानंद जी ने श्रीमद भगवद्गीता की commentary में एक जगह लिखा है, The ancient sacred writings do not clearly distinguish history from symbology; rather, they often intermix the two in the tradition of scriptural revelation.
सुप्रीम कोर्ट के उल्लू के पट्ठों को यह बात मालूम होनी चाहिए. अगर मालूम होती तो वे भगवान श्रीकृष्ण और राधा जी के बारे में ऐसी अनर्गल बात नहीं लिखते. 
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के जज साहबान को अपने इस अक्षम्य अपराध के लिए माफ़ी माँगनी चाहिए और यह निश्चय करना चाहिए के ग़ैर धार्मिक मामलों में वह धर्म की बात नहीं करेंगे. 
इस वक़्त पुरे देश को सुप्रीम कोर्ट के इस कुकृत्य के खिलाफ आवाज़ उठानी चाहिए कि सुप्रीम कोर्ट सबसे बड़ी अदालत है तो उसे मनमानी करने का अधिकार नहीं  मिल गया है. 

Wednesday, November 11, 2009

पाकिस्तान में विरोधाभास !

पाकिस्तान अजीब-ओ- ग़रीब मुल्क है. यानी वह ग़रीब तो है ही, अजीब भी है. सरकार में कोई तालमेल नहीं है. पिछले दिनों पेशावर में कई बम धमाके हुए, और पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मालि ने आव देखा न ताव, भारत को धमाकों के लिए जिम्मेदार ठहरा दिया. दिलचस्प बात यह है कि जब इंटर सर्विसेस पब्लिक रिलेशंस के प्रवक्ता मेजर जनरल अतहर अब्बास से इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, 'कोई भी इंटेलिजेंस एजेन्सी अपने foot prints नहीं छोड़ती है. अगर वह foot prints छोड़ देती है तो वह बहुत बेकार और अकुशल इंटेलिजेंस एजेन्सी मानी जायेगी. हमें इसके बारे में leads मिलती हैं जो 
कुछ दूर जाकर ख़तम हो जाती हैं, इसलिए यह कहना कि किसी बाहरी ताकत ने ये धमाके करवाए हैं, यह कहना मुश्किल है.'
वहीँ पाकिस्तान के मशहूर बुद्धिजीवी प्रोफ़ेसर परवेज़ हूदभाई का कहना है, 'रहमान मालिक ने इस तरह का कोई सबूत अब तक नहीं दिया है जिससे यह साबित हो सके पाकिस्तान में होने वाली आतंकवादी गतिविधियों में भारत लिप्त है. कहने को तो कोई कुछ भी कह दे.' 
पाकिस्तान में भी कोई कम ऐब नहीं हैं. भारत के अलावा वह इरान और यहाँ तक कि चीन में भी आतंकवादी गतिविधियों का संचालन कर रहा है. यह बात पाकिस्तान के एक रक्षा विशेषज्ञ मेजर (अवकाशप्राप्त) सईद अनवर की बात से ज़ाहिर हो जाता है. वह कहते हैं, 'इस तरह की बातें बहुत संवेदनशील होती हैं, और उन्हें इस तरह नहीं कहना चाहिए. क्या पाकिस्तान इरान और चीन में गड़बड़ नहीं कर रहा है? इरान के गृह मंत्री तो पाकिस्तान आये इसीलिए थे कि अब्दुल मालिक रेगी हमारे यहाँ छुपा है और इरान में आतंक फैला रहा है. क्या चीन के उइघुर मुसलमानों को पाकिस्तान में ट्रेनिंग नहीं दी जाती? चीन हमेशा खामोशी से इसका विरोध दर्ज करवाता रहता है, और हमने कुछ लोगों को पकड़ कर उनके हवाले किया भी है जिन्हें चीन में सजा भी मिली है.'
खुद पाकिस्तान के लोगों के विचारों में इतना विरोधाभास है. पाकिस्तान सरकार कहाँ है? यह वहां के लोगों तक को पता नहीं है. एक तरफ रक्षा मंत्री अहमद मुख्तार अपनी बाईपास सर्जरी करवाने के बाद स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं और जनरल अशफाक परवेज़ कयानी के ही हाथों में साउथ वजीरिस्तान में चलने वाले फौजी ऑपरेशन ऑपरेशन राह- ए- निजात की बागडोर है. पाकिस्तान में लगातार यह सवाल उठ रहा है कि न तो प्रधान मंत्री युसूफ रजा गिलानीराष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी और न गृह मंत्री रहमान मालिक साउथ वजीरिस्तान जाकर वहां का हाल चाल लेने की हिम्मत दिखा पा रहे हैं. सब इस्लामाबाद में बैठकर सिर्फ भारत पर इल्जाम लगाते रहते हैं.