Monday, October 26, 2009

संघ के लोगों की बीमारियाँ !


अभी कुछ दिनों पहले की बात है, सीहोर (मध्य प्रदेश) से मेरे एक पत्रकार मित्र आये हुए थे. उन्होंने बताया कि सीहोर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक प्रचारक ने संघ की शाखाओं में आने वाले एक बालक के साथ दुष्कर्म किया. इस घटना को रफा दफाकर दिया गया और वह प्रचारक आज भी छुट्टे सांड की तरह घूम रहा है. राज्य में हाफ पैनटिया लोगों की सरकार है इसलिए संघियों के सारे अपराध माफ़ हैं.
संघ के अविवाहित प्रचारक के बारे में मशहूर है कि वे संघ की शाखाओं में आने वाले अबोध बालकों के साथ दुष्कर्म करते हैं. सभी प्रचारक तो ऐसे नहीं होते, लेकिन प्रायः होते हैं. कुछ तो ऐसे भी होते हैं जो चोरी छुपे महिलायों के साथ सम्बन्ध रखते हैं. दो को मैं ही जनता हूँ. एक को तो टीकमगढ़ में 'मद्रास वाले जीजाजी' कहा जाता है, और दूसरे एक राज्य के मुख्यमंत्री हैं. संघ परिवार के एक वयोवृध्द नेता तो आजीवन अविवाहित रहे लेकिन अपनी प्रेमिका को हमेशा उन्होंने अपने साथ रखा. उस महिला से उनकी एक बेटी भी है जिसे गोद लेकर उन्होंने उसे अपना नाम दे दिया है.
बहरहाल, कहने का मकसद यह है कि संघ परिवार में दुष्कर्मियों और ऐयाशों की कोई कमी नहीं है.

10 comments:

हिटलर said...

तेरे जैसे टुच्चे पत्रकार से इस उमर में ऐसा छिछोरा लेख आने की ही उम्मीद थी… क्योंकि यदि तूने कांग्रेसियों की रंगरेलियां कभी देखी होतीं तो ये लिखने से पहले आसपास ही कहीं शर्म से डूब मरता…

kishore ghildiyal said...

is hamam me sab hi nange hain saahab kya sangh kya congress
jyotishkishore.blogspot.com

अनुनाद सिंह said...

मुझे तो लगता है कि वह आपके किसी मित्र का नही, आपका ही बालक है और उसे "नबाबी शौक" लग गया है। आप नाहक संघ को दोष दे रहे हैं। अपने बालक को ठीक कीजिये नहीं तो पूरे मोहल्ले को बिगाड़ देगा।

वैसे जिस बिमारी की चर्चा आप कर रहे हैं वह मार्क्स, कास्त्रो, राहुल सांकृत्यायन आदि की बीमारी है। कब से संघी इसके चपेटे में आ गये?

A. Arya said...

लोगो का कलम से भी विश्वास उठने वाला है , अगर तुम्हारे जेसे लिखने वाले हो तो, शरम करो और कितना गिरोगे, अगर तुम्हारा सोभाग्या हुवा तो कभी शाखा मे जाकर देखना,दोस्त का हवाला देकर मत लिखो ओर अपने अंतर्मन को स्वच्छ रखो. तुच्छ प्राणियों को क्या मालूम की संघ क्या है.

Unknown said...

Narrated Abu Qilaba: Anas said, “Some people of ‘Ukl or ‘Uraina tribe came to Medina and its climate did not suit them. So the Prophet ordered them to go to the herd of (Milch) camels and to drink their milk and urine (as a medicine).

dhiru singh { धीरेन्द्र वीर सिंह } said...

दर्द तो ऐसा बोला आपका जैसे आप ही शिकार हुए . ..................... सीधे अटल बिहारी का नाम ही लिख देते घुमा फिरा कर लिखना कमजोरी की निशानी है वे बुजदिल होते हैं

संजय बेंगाणी said...

ब्लॉग होता ही भड़ास निकालने के लिए है. सही माध्यम चुना है. सीधे सीधे नाम लिखते तो हम जैसे अज्ञानी भी जान जाते. वरना कोई भी कुछ भी लिख देता है, क्या फर्क पड़ता है?

vikas mehta said...

kitne pase liye tune is jhuth ko chapne ke ..........................mujhe to tu hi koi simi ka karykarta lagta hai

शोभा said...

sahchai sunna bahut mushkil hai esliye koi bhi pathak es sach ko sahan nahi kar paya, aapko dhanywad

Unknown said...

Patrakaar to chhod tu to insaan kahlaane ke bhi kaabil nahi hai, apne aap ko south asia ka patrkaar kahta hai, saale tu to ISI ka agent lag raha hai , patrakarita ke naam par kalank, kahi doob mar ja kar : Shekhar