जिन्ना वाली पोस्ट की इस नई कड़ी में कुछ बातें जोड़ना चाहता हूँ। गाँधी जी ने नेहरू, पटेल और अन्य कांग्रेसियों के बारे में अपने एक मित्र से कहा था, "यह लोग कहते तो मुझको महात्मा हैं लेकिन मुझे मेहतर से भी गया गुज़रा मानते हैं।"
गांधीजी को पता कि जब तक अँगरेज़ जिन्ना को पाकिस्तान देने के लिए राज़ी नहीं होंगे तब तक जिन्ना कुछ नहीं कर पाएंगे। यही वजह थी गांधीजी ने माउंटबैटन से कहा था, "हिंदुस्तान छोड़ दें, फिर उसके बाद यहाँ अफरा-तफरी हो, अराजकता हो या चाहे जो हो। हम सब संभालेंगे।"
लेकिन नेहरू और पटेल के कारण उनकी एक नहीं चली।
पटेल तो माउंटबैटन के भारत पहुँचने से पहले ही पाकिस्तान की बात मान गए थे। उनको दो बार हार्ट अटैक हो चुका था, और वे डिबेट और बहसों से बचकर भारत के लिए जुटना चाहते थे। वे कहते थे कि जिन्ना को पाकिस्तान दे दो, वह कुछ वर्षों बाद भारत से दुबारा जुड़ने के लिए आ जायेंगे।
वहीं नेहरू को मनाने के लिए माउंटबैटन ने 'OPERATION SEDUCTION' शुरू किया जिसमें लेडी माउंटबैटन ने अहम् भूमिका निभाई। और नेहरू मान गए!!
महात्मा गाँधी को क्या आज भी मेहतर से भी गया गुज़रा नहीं माना जाता?
सनद - यह पोस्ट उसी दिल्ली में लिखी गई जहाँ की कोई चीज़ अपनी ख़ुद की नहीं । यहाँ तक कि मौसम भी नहीं। और लिखे जाने का बखत इतवार की अलसाई दुपहरी जब कुछ लोग पसर जाते हैं तो कुछ चिडिमार ब्लॉग में सर खपाते हैं। बकलम ख़ुद। लिख दिया ताकि सनद रहे और बखत पर काम आए।
रोज़ सुबह की तरह आज भी मैं राजपथ पर टहलने निकला। राजपथ वो नहीं जिसपर पैरेड
होता है, अपने घर के बाहर वाली सड़क को भी मैं राजपथ ही कहता हूँ। वैसे भी कहन...
2 years ago
6 comments:
समय - इतवार की अलसाई दुपहरी जब कुछ लोग सोते हैं और कुछ चिडीमार ब्लॉग में सर खपाते हैं..
sahamat hun apke vicharo se....
समय के चक्कर को धन्यवाद.
"मेहतर से भी गया गुज़रा मानते हैं।"
यदि गांधी जी ने ये कहा है तो एकदम गलत बात है
इससे गांधी जी की जातिवादी मानसिकता प्रतिलक्षित होती है
Aapke blog ne kai bhooli bisri jankariyan tazi kar di,Achha laga.
अरूण जी,
यहां किन्ही Anonymous महोदय ने कहा कि -
मेहतर से भी गया गुज़रा मानते हैं।"
यदि गांधी जी ने ये कहा है तो एकदम गलत बात है
इससे गांधी जी की जातिवादी मानसिकता प्रतिलक्षित होती है
तो मै इतना ही कहूंगा कि Anonymous महोदय उस काल , उस समय को दृष्टिगत रखते हुए सोचें तो पता चलेगा कि कितना मुश्किल था इस जातिवादी बंदिशों को तोडना उस वक्त....उस वक्त की छोडिये...अब भी इतना ज्यादा जातिवाद देखा जाता है उसे हम नजरअंदाज नहीं कर सकते।
गांधीजी को शायद यह बात समझाने के उद्देश्य से Example के तौर पर दिया है तो इसका मतलब यह नहीं हो गया कि वह जातिवाद मानते थे।
मैं Anonymous महोदय की बात से सहमत नहीं हूँ।
एक प्रश्न मेरे मन में उठता है कि भारत में जितने क्रांतिकारी हुए वह अधिकतर हिंदू थे और दुर्गा और अन्य शक्तिदायी स्त्रोतों की पूजा करते थे। मुसलमान क्रांतिकारी भी हुए जिनमें अशफाक उल्ला खां आदि की नाम मैं पूरी श्रद्धा के साथ लेना चाहूँगा।
तो मैं ये जानना चाहता हूँ कि पाकिस्तान में जब इतिहास की किताबों में पढाया जाता होगा क्रातिकारीयों के बारें में तो क्या कहा जाता होगा- मसलन उनकी पूजा आदि के बारे मे। जबकि पाकिस्तान का जन्म ही मुस्लिम बात को लेकर हुआ है। इस पर थोडा प्रकाश डाल सकेंगे।
अरूण जी, आज छुट्टी है सो आपके ब्लॉग पर तफरीह करने चला आया, पर देखता हूँ अभी और कुछ लिखिये नहीं हैं। सो एक ठो चकाचक नई पोस्टवा ठेलिये :)
सतीश पंचम
सतीश बाबू!
बहुत जल्द कौनो ना कौनो पोस्टवा ठेल्वे करब. जल्दीबाजी जिन मचावा. अभैयीं कुछ कमवा मा लाग अही
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