आजकल मध्य प्रदेश में एक बवाल चल रहा है। वहां Bhopal Development Authority (BDA) के सीईओ मदन गोपाल रूसिया की गला घोंट के हत्या कर दी गई है, जिसमे बीजेपी के विधायक जीतेन्द्र डागा पर शक किया जा रहा है। डागा, सुषमा जी के बहुत करीबी हैं, अरे! वही सुषमा जी जो उत्तर-पूर्व के अलगाववादी लालदेंगा के करीबी रही हैं, बिल्कुल ठीक समझा, आपकी ही सुषमा स्वराज!
बात दरअसल यह है कि BDA ने भोपाल में कालोनी बनाने कि योजना तैयार की थी और भूमि अधिग्रहण किया जाना था। इसके लपेटे में डागा की ज़मीन भी आ रही थी और डागा के साथ आपकी सुषमा जी योजना को बदलने का दबाव डाल रही थीं। डागा ने रूसिया से कहा कि वह उनके साथ दिल्ली चल कर उनके वकील से बात कर लें और मामला ठीक हो जाए। दोनों जने १० सितम्बर को हवाई जहाज से दिल्ली आए। उन्हें शाम को हवाई जहाज से वापस लौट जाना था लेकिन डागा ने कहा कि flight कैंसल हो गई है इसलिए ट्रेन से चला जाएगा।
दोनों हज़रत निजामुद्दीन - हबीबगंज एक्सप्रेस में सवार हो गए। डागा को भोपाल उतर जाना था और रूसिया को भोपाल के ही एक उपनगर हबीबगंज उतरना था जो भोपाल स्टेशन के बाद आता था। डागा के अनुसार जब वह भोपाल उतरने कि तैय्यारी करने लगे तो उन्होंने देखा की रूसिया का बैग और जूते तो रखे हैं लेकिन वह ख़ुद नहीं हैं। डागा ने बताया की उन्हें लगा कि रूसिया वाशरूम गए होंगे, और वह ख़ुद भोपाल स्टेशन पर उतर गए।
रूसिया जब घर नहीं पहुचे तो उनके घरवालों को चिंता हुई। उन लोगों ने गुमशुदगी की रपट लिखवाई। फिर पता चला रूसिया की लाश आगरा के पास पटरी के किनारे पड़ी है।
डागा के ख़िलाफ़ कुछ हो नहीं पा रहा है क्योंकि मुख्यमंत्री को पता है डागा किसके कृपापात्र हैं। सुषमा स्वराज का राज्य की राजनीति में बहुत दखल है। जब से उन्होंने मध्य प्रदेश में कदम रखा है उनकी संपत्ति भी बढ़ी है। मार्च २००६ में उनके और उनके घरवालों के पास ९३० ग्राम सोना था जो अब बढ़ कर २००५ ग्राम हो गया है। मार्च २००६ के बाद उनके पास एक mercedes benz आ गई है, उन्होंने २.१४ करोड़ रुपिये अपने पति को लोन दिए हैं, और मुंबई में एक फ्लैट भी ख़रीदा है जिसकी अब तक उन्होंने एक करोड़, ३८ लाख, ९१ हज़ार, १५१ रुपिये चुकाए हैं।
2 comments:
लालदेंगा नाम बहुत दिन बाद सुनने मिला है। काफी पहले यह नाम सुनकर डैनी ( फिल्म स्टार) याद आते थे क्योंकि वह भी उसी क्षेत्र से हैं औऱ नाम भी उसी तरह का।
वैसे, कहावत है कि जिसकी लाठी उसकी भैंस और वह बात हर ओर चरितार्थ हो रही है।
भारत तथाकथित सुधरे हुए समाज का एक हिस्सा है
भारत का इतिहास इसी तरह के विभाजन और आपसी लड़ाई झगड़ों की दास्ताँ लिए हुए है
२०१० का समय भी ये धर्म, क्षेत्रीयतावाद , जात पांत के भेद भावों को मिटा न पाया उसका
बहुत अफ़सोस है -
-- हर देश भक्त को नमन --
भारतीय जनता कब संगठित होगी ?
बातें करने का समय कब का बीत चूका है ...
अब तो , कायरता का त्याग करो ...
नेता क्या करेंगें ? सिर्फ टेक्स लेंगें आपसे ..
जनता जनार्दन कब जागेगी ?
- लावण्या
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